भूतों ने बनाया था ये मंदिर? मेरठ के इस गांव में रहस्यमयी शिवधाम, क्या आप जानते हैं पूरी कहानी?
- ANH News
- 21 जुल॰
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भारत की भूमि न केवल आस्था की गहराइयों से भरी है, बल्कि यहां कुछ ऐसे रहस्यमयी मंदिर भी हैं जिनकी कहानियाँ सुनकर कोई भी व्यक्ति सोच में पड़ जाए। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के एक छोटे से गांव दतियाना में स्थित एक शिव मंदिर को लेकर भी कुछ ऐसी ही मान्यता है—जहां कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था, वो भी एक ही रात में।
कहां स्थित है यह मंदिर?
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में सिम्भावली क्षेत्र के दतियाना गांव में स्थित है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण किसी साधारण मानव ने नहीं, बल्कि भूत-प्रेतों ने रातों-रात किया था। यही कारण है कि इसे 'भूतों वाला मंदिर' या 'लाल मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है।
रात में बना, लेकिन अधूरा रह गया...
लोककथाओं के अनुसार, जब भूत इस मंदिर का निर्माण कर रहे थे, तभी सूर्योदय हो गया और वे इसे अधूरा छोड़कर गायब हो गए। कहा जाता है कि मंदिर का शिखर उस समय नहीं बन पाया था। बाद में गांववालों ने मिलकर मंदिर के शिखर को पूरा करवाया।
विशेष वास्तुकला: लाल ईंटों से बना मंदिर
यह मंदिर पूरी तरह से लाल रंग की ईंटों से निर्मित है और निर्माण में प्रारंभ में सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया था। यह स्थापत्य अपने आप में विशेष है। बाद में सुरक्षा कारणों से मरम्मत और मजबूती के लिए कुछ हिस्सों में सीमेंट का प्रयोग किया गया।
सर्वधर्म समभाव का प्रतीक
मंदिर के मुख्य द्वार पर हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्मों के प्रतीक चिह्न उकेरे गए हैं, जो इसे सर्वधर्म समभाव की भावना से जोड़ते हैं। यह विशेषता भी इस मंदिर को अन्य धार्मिक स्थलों से अलग बनाती है।
श्रद्धालुओं की आस्था और सुरक्षा का केंद्र
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यह मंदिर हर आपदा से गांव की रक्षा करता है। उन्होंने बताया कि कई बार प्राकृतिक आपदाएं आईं, लेकिन यह मंदिर हमेशा अडिग और सुरक्षित रहा। यही कारण है कि आज भी यहां दूर-दराज से श्रद्धालु दर्शन और पूजा के लिए पहुंचते हैं—खासकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से।
इतिहासकारों की राय
हालांकि इतिहासकारों और विशेषज्ञों का मानना है कि यह मंदिर गुप्तकाल के दौरान बना था और ‘भूतों द्वारा निर्माण’ की बात को वे जनश्रुति और आस्था का विषय मानते हैं। फिर भी, गांववालों की आस्था इन कहानियों में अब भी अडिग है।
डिस्क्लेमर:
इस लेख में दी गई जानकारी स्थानीय लोककथाओं, जनश्रुतियों और सामान्य स्रोतों पर आधारित है। इसका उद्देश्य सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं को उजागर करना है। किसी ऐतिहासिक या वैज्ञानिक पुष्टि के लिए संबंधित स्रोतों से सत्यापन आवश्यक है। प्रस्तुत चित्रण AI द्वारा कल्पनात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया है और वास्तविकता से हूबहू मेल खाने का दावा नहीं करता।





