जहां भक्तों को मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का साक्षात् होते है दर्शन, जानिए 5 चमत्कारिक गुफाएं
- ANH News
- 19 सित॰
- 3 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 20 सित॰

हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का पर्व अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह नौ दिवसीय उत्सव देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का प्रतीक है, जिसमें भक्तजन उपवास रखते हैं, विशेष पूजन करते हैं और देवी को प्रसन्न करने के लिए विविध अनुष्ठान करते हैं। नवरात्रि केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है, जिसमें आत्मा को शुद्ध करने, आस्था को दृढ़ करने और देवी की दिव्य शक्ति से जुड़ने का प्रयास किया जाता है।
इस पावन अवसर पर देशभर के देवी मंदिरों और शक्तिपीठों में आस्था का सागर उमड़ पड़ता है। विशेषकर कुछ प्राचीन और रहस्यमयी गुफाएं ऐसी हैं, जिन्हें मां दुर्गा की दिव्य उपस्थिति का स्थल माना जाता है। मान्यता है कि इन गुफाओं में नवरात्रि के दौरान देवी की शक्ति विशेष रूप से सक्रिय हो जाती है और भक्तों को अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति होती है। आइए, ऐसी ही पांच पवित्र गुफाओं की चर्चा करें, जहां मां दुर्गा की दिव्यता का अनुभव हर नवरात्रि में गहराई से होता है।
उत्तर में स्थित त्रिकुटा पर्वत की गोद में बसी वैष्णो देवी की पवित्र गुफा, श्रद्धालुओं के लिए सबसे प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यहां मां दुर्गा के तीन रूप – महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती – पिंडियों के रूप में विराजमान हैं। मान्यता है कि नवरात्रि के समय मां वैष्णो देवी विशेष रूप से जागृत होती हैं और गर्भजून गुफा में अपने भक्तों को दर्शन देती हैं। 12 किलोमीटर लंबी तीर्थयात्रा के बाद जब भक्त गुफा तक पहुंचते हैं, तो उनकी थकान मां के आशीर्वाद से पलभर में मिट जाती है।
पूर्वोत्तर भारत में असम की नीलाचल पहाड़ी पर स्थित कामाख्या गुफा मंदिर देवी दुर्गा के तांत्रिक स्वरूप की आराधना का केंद्र है। यह स्थल अत्यंत रहस्यमयी है क्योंकि यहां कोई मूर्ति नहीं, बल्कि मां के योनि रूप की पूजा होती है। इस गुफा के गर्भगृह में एक चमत्कारिक शक्ति का अनुभव होता है, विशेषकर नवरात्रि के दौरान। माना जाता है कि मां कामाख्या यहां हर वर्ष की नवरात्रि में अपनी गुप्त शक्ति का संचार करती हैं, जिसे साधक और श्रद्धालु गहराई से अनुभव करते हैं।
गुजरात के पोरबंदर के निकट स्थित हरसिद्धि माता की गुफा भी एक अत्यंत पवित्र स्थल है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने यहां मां हरसिद्धि की उपासना की थी। यह गुफा समुद्र के समीप स्थित है और यहां की विशेष बात यह है कि नवरात्रि में मां की विशेष उपस्थिति महसूस की जाती है। यहां की पूजा पद्धति और वातावरण इतना आध्यात्मिक होता है कि भक्तों को लगता है मानो देवी स्वयं उन्हें आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित हैं।
गुजरात और राजस्थान की सीमा पर स्थित अंबाजी की पवित्र गुफा, 51 शक्तिपीठों में से एक है। आरासुरी अंबाजी मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि यहां एक रहस्यमयी यंत्र की पूजा की जाती है, जो देवी की दिव्य उपस्थिति का प्रतीक है। नवरात्रि के नौ दिनों में यह स्थल रंग-बिरंगे गरबा और डांडिया की लय से गूंज उठता है, और लाखों श्रद्धालु मां के दर्शनों के लिए यहां पहुंचते हैं। गुफा की दिव्यता और वहां का ऊर्जावान वातावरण भक्तों को अलौकिक अनुभूति प्रदान करता है।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले में स्थित ज्वाला देवी मंदिर, एक ऐसी अद्भुत गुफा है, जहां किसी मूर्ति की नहीं, बल्कि स्वयं अग्नि की लपटों की पूजा की जाती है। यह लपटें बिना किसी ईंधन या स्रोत के सदियों से पृथ्वी की गहराई से प्रकट होती हैं। यह शक्ति की निरंतर उपस्थिति का प्रतीक है। नवरात्रि के अवसर पर यहां का वातावरण और भी चमत्कारिक हो जाता है, जब देवी के प्रति श्रद्धा और आस्था से भरपूर लाखों भक्त अग्निज्वालाओं के सम्मुख अपनी भक्ति अर्पित करते हैं।
इन गुफाओं में नवरात्रि केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक जीवंत अनुभव बन जाता है – ऐसा अनुभव, जिसमें श्रद्धा, चमत्कार और देवी की दिव्य शक्ति का अद्भुत संगम होता है। मां दुर्गा की यह पवित्र उपस्थिति भक्तों को न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा, विश्वास और शक्ति का संचार भी करती है।





