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गुप्त नवरात्रि में इस शक्तिशाली पाठ से मिलेगा देवी मां का आशीर्वाद, ये चमत्कारी लाभ होंगे

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
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गुप्त नवरात्रि का पावन पर्व 30 जनवरी से शुरू हो चुका है, जो खास तौर पर देवी दुर्गा और दस महाविद्याओं की गुप्त साधना, तंत्र मंत्र, स्तोत्र पाठ और पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। यह समय साधक के लिए अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने, मानसिक शांति पाने और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान देवी दुर्गा के गुप्त स्तोत्रों का जाप करने से जीवन में अनेकों लाभ मिलते हैं।


मार्कंडेय पुराण के अंश दुर्गा सप्तशती में देवी दुर्गा के गुप्त स्तोत्रों का उल्लेख किया गया है, जिनका जाप गुप्त नवरात्रि के दिनों में बहुत फायदेमंद होता है। शास्त्रों के अनुसार, देवी कवच, अर्गला स्तोत्र और कीलक स्तोत्र का सही तरीके से पाठ करने से जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही, ये स्तोत्र नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा भी प्रदान करते हैं।


गुप्त नवरात्रि के इन नौ दिनों में, साधक गुप्त रूप से देवी दुर्गा की साधना करते हुए अपनी मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शक्ति को जागृत करता है। देवी मां दुर्गा की कृपा से साधक को साहस, शक्ति और आत्मविश्वास मिलता है, जिससे वह जीवन की कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम होता है।


उत्तराखंड के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री ने लोकल 18 पर गुप्त नवरात्रि की महिमा को समझाते हुए बताया कि इस समय देवी दुर्गा और दस महाविद्याओं की गुप्त साधना और तंत्र पाठ से साधक अपनी आध्यात्मिक यात्रा को सशक्त बनाता है। इस दौरान अनेकों मंत्रों और स्तोत्रों का जाप किया जाता है, जो साधक को आध्यात्मिक रूप से मजबूती प्रदान करते हैं।


गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिनों में देवी अपराध क्षमा याचना स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। अगर किसी साधक से गलती से कोई त्रुटि हो जाती है, तो यह स्तोत्र देवी मां से क्षमा प्राप्त करने का एक सशक्त उपाय है। देवी अपराध क्षमा याचना स्तोत्र के जाप से देवी मां सभी गलतियों को माफ कर देती हैं और साधक को सकारात्मक फल देती हैं।


मार्कंडेय पुराण के अंश दुर्गा सप्तशती में इस स्तोत्र का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके प्रभाव से साधक के बिगड़े हुए कार्य सुधरते हैं और जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।


इस प्रकार, गुप्त नवरात्रि का समय न सिर्फ तंत्र साधना का है, बल्कि यह आत्म-सुधार और देवी मां की कृपा प्राप्त करने का भी अद्भुत अवसर है।

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