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राजमहल में भगवान बद्रीनाथ के अभिषेक व अखण्ड ज्योति के लिए पिरोया तिल का तेल

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 22 अप्रैल
  • 2 मिनट पठन



नरेंद्रनगर: बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खुलने जा रहे हैं। बद्री विशाल के दर्शन के लिए और भगवान् की पूरी साज-सज्जा की तैयारियां भी जोरो-शोरों से जारी है। नरेंद्रनगर टिहरी गढ़वाल स्थित राजमहल में परंपरागत गाडू घड़े के लिए तेल पिरोने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। पिरोये गए तिल के तेल से भगवान बद्री विशाल का अभिषेक किया जायेगा और इसी तेल से अखंड ज्योति भी प्रज्वलित की जाएगी।


गाडू घड़े के लिए तिल का तेल निकालने की प्रक्रिया:

भगवान बद्री विशाल के लेप और अखंड ज्योति जलाने के लिए उपयोग होने वाले तिल के तेल को राजमहल में बड़ी ही पवित्रता से राजपरिवार और डिमरी समाज की सुहागिन महिलाओं के हाथों से निकाला जाता है। तेल निकालने की यह परंपरा काफी पुरानी है। तेल बिना किसी मशीन के परंपरागत तरीके और हाथों से ही पिरोया जाता है तथा इसे ही बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने में शुरुआती प्रक्रिया माना जाता है।


मंगलवार को नरेंद्रनगर स्थित राजमहल में पौराणिक परंपराओं का निर्वाह्न करते हुए राजमहल को दुल्हन की तरह फूल-मालाओं से सजाया गया तथा टिहरी सांसद और महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह की उपस्थिति में विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई। उसके बाद 40 से अधिक सुहागिन महिलाओं द्वारा पीला वस्त्र धारण कर सिलबट्टे से तिलों का तेल पिरोया गया। तिलों का यह तेल भगवान बदरी विशाल के अभिषेक के लिए प्रयोग किया जाता है। गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा और भगवान बद्री विशाल के कपाट खोलने की तिथि बसंत पंचमी के पावन अवसर पर राजपुरोहितों द्वारा निकाली जाती है। इस बार भगवान बद्री विशाल के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 04 मई, 2025 को प्रातः 6 बजे खोल दिए जाएंगे।


इस अवसर पर महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह ने कहा कि श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रथम प्रक्रिया नरेंद्रनगर के राजमहल में तिल के तेल की पिरोई से शुरू होती है। बद्रीनाथ धाम में प्रथम पूजा नरेंद्रनगर राजा के नाम से संपन्न होनी चाहिए। महारानी ने बताया कि गाडू घड़ा कलश यात्रा के दौरान पौराणिक परंपराओं को जीवित रखते हुए धार्मिक विधि-विधान से ही कार्यक्रम होता है। साथ ही देश-विदेश के पर्यटकों से चारधाम यात्रा में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने का न्यौता दिया।


जिला सूचना अधिकारी

     टिहरी गढ़वाल

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