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Uattarakhand: पौड़ी के अरुण ने बेकार सामान को दी नई जान, फुटबॉल से आँखे और बल्ले से खिलाड़ी का चेहरा

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 25 जन॰
  • 2 मिनट पठन


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अगर एक कलाकार की सोच और हुनर सही दिशा में हो, तो वही बेकार चीज़ें भी आकर्षक और उपयोगी रूप में बदल सकती हैं। इसका बेहतरीन उदाहरण पेश कर रहा है उत्तराखंड के पौड़ी जिले के अरुण भंडारी द्वारा तैयार किया गया राष्ट्रीय खेलों का शुभंकर मोनाल। महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स स्टेडियम के पास, खेलों के बेकार सामान से बने इस मोनाल ने कला और क्रिएटिविटी का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया है।


अरुण भंडारी, जो मूल रूप से पौड़ी जिले के सतपुली ग्राम कुंड के निवासी हैं और वर्तमान में दिल्ली में अपने परिवार के साथ रहते हैं, ने राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर मोनाल को तैयार करने के लिए बेकार खेल सामान का इस्तेमाल किया। मोनाल की आंखों को फुटबॉल से, चेहरे को बल्ले से, और पैरों को बैटिंग पैड से तैयार किया गया है। इसके साथ ही खिलाड़ी की कानों को स्केट्स से, ठोड़ी को कैप से और अन्य हिस्सों को रैकेट, टेनिस बॉल जैसे खेलों के सामान से सजाया गया है।


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अरुण भंडारी, जो कि स्टैच्यू आर्टिस्ट के तौर पर अपनी पहचान बना चुके हैं, अब तक 10 से ज्यादा जगहों पर 45 फीट तक के स्टैच्यू तैयार कर चुके हैं। उनके काम में प्रमुख रूप से राजस्थान, लद्दाख, बंगलूरू, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, ग्वालियर और इंदौर जैसे शहर शामिल हैं, जहां उन्होंने जंगल, डायनासोर, पार्क और मंदिर जैसे विषयों पर स्टैच्यू बनाए हैं। खासकर इंदौर में बने राम मंदिर का स्टैच्यू, जो करीब 45 फीट ऊंचा है, ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।


अरुण को जब 38वें राष्ट्रीय खेलों से जुड़ने का अवसर मिला, तो उन्होंने अपने अन्य सभी प्रोजेक्ट्स को छोड़कर उत्तराखंड आने का निर्णय लिया। यहां, दीपाली संस्था के साथ मिलकर, वह तीन प्रमुख स्टैच्यू बना रहे हैं, जिसमें मोनाल, खिलाड़ी और एक टाइगर शामिल हैं। इन स्टैच्यू को बनाने का जिम्मा दीपाली संस्था ने लिया है, और अरुण की टीम ने छह सदस्यों के साथ उत्तराखंड पहुंचकर काम शुरू किया है। वर्तमान में, अरुण 18 फीट ऊंचा मोनाल और 20 फीट ऊंचा खिलाड़ी तैयार कर रहे हैं, जो निश्चित रूप से राष्ट्रीय खेलों को और भी आकर्षक बनाएंगे और आने वाले खिलाड़ियों को प्रेरित करेंगे।


अरुण की यह कला न केवल उनके हुनर को साबित करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे एक कलाकार अपनी कड़ी मेहनत और रचनात्मकता के माध्यम से समाज में बदलाव ला सकता है और अपने प्रदेश का नाम रोशन कर सकता है।

 
 
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