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Uttarakhand: UCC नियमों में संशोधन, अब संभव नेपाल, तिब्बत और भूटान के साथियों से शादी का पंजीकरण

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 15 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के अंतर्गत नेपाल, तिब्बत और भूटान के मूल निवासी साथियों से विवाह करने वाले नागरिकों के लिए शादी का पंजीकरण कराने की प्रक्रिया को और अधिक सहज बनाने के लिए नियमों में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। सोमवार को कैबिनेट की बैठक में इस संशोधन को मंजूरी दी गई, जिसके तहत अब इन देशों के मूल निवासी साथियों के विवाह का पंजीकरण भी यूसीसी के तहत संभव होगा। इसके लिए आवश्यक है कि संबंधित व्यक्ति के पास अपने स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी वैध पहचान पत्र हो तथा भारत में कम से कम 180 दिनों का वैध प्रवास प्रमाणपत्र मौजूद हो।


यह संशोधन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले साल 27 जनवरी को उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद इस कानून के क्रियान्वयन में कई समस्याएं सामने आईं। उन चुनौतियों में से एक यह थी कि यदि किसी उत्तराखंड निवासी की पत्नी या पति नेपाल, तिब्बत या भूटान का रहने वाला हो, तो उनका विवाह पंजीकरण कराने में दिक्कतें आती थीं। पहले इस कानून के तहत दोनों पक्षों के पास उत्तराखंड का वैध आधार कार्ड होना अनिवार्य था, जिसके कारण इन विदेशी मूल के साथियों से विवाह करने वाले लोग अपनी शादी का पंजीकरण नहीं करवा पाते थे।


उत्तराखंड के कई इलाकों में नेपाल, भूटान और तिब्बत के नागरिकों से विवाह सामान्य है और वे लंबे समय से राज्य में निवास कर रहे हैं, लेकिन तकनीकी कारणों से उनका पंजीकरण नहीं हो पा रहा था। इस समस्या को अब सरकार द्वारा दूर कर दिया गया है। नए नियमों के अनुसार, यदि कोई उत्तराखंड निवासी व्यक्ति या महिला इन तीनों देशों के मूल निवासी साथी से विवाह करता है, तो वह विवाह पंजीकरण उनके वैध स्थानीय पहचान पत्र और भारत में वैध प्रवास प्रमाणपत्र के आधार पर करवा सकता है।


इस नए नियम के तहत, नेपाल और भूटान के नागरिकों के लिए उनके देश के नागरिकता प्रमाणपत्र के साथ-साथ भारत में कम से कम 182 दिनों से अधिक के वैध प्रवास का प्रमाण पत्र भी अनिवार्य होगा। यह प्रमाण पत्र नेपाल के लिए नेपाली मिशन और भूटान के लिए रॉयल भूटानी मिशन द्वारा जारी किया जाएगा। वहीं, तिब्बती मूल के व्यक्तियों के लिए विदेशी पंजीकरण अधिकारी की ओर से जारी वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र को वैध माना जाएगा।


इस प्रकार, इस संशोधन के माध्यम से उत्तराखंड सरकार ने उन परिवारों की परेशानियों का समाधान किया है, जिनका विवाह अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे देशों के नागरिकों से हुआ है। अब उन्हें अपने वैवाहिक संबंधों को कानूनी रूप से पंजीकृत कराने में कोई अड़चन नहीं आएगी और यूसीसी के अंतर्गत उनका विवाह भी मान्यता प्राप्त होगा। यह कदम प्रदेश में सामाजिक समरसता और कानूनी पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

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