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Uttarakhand: चीन व नेपाल से सटे गांव बनेंगे मॉडल विलेज, योजना पर काम शुरू

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 20 नव॰
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड: वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत चीन और नेपाल से सटी सीमांत बस्तियों को आदर्श गांवों के रूप में विकसित करने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। योजना का उद्देश्य इन दूरस्थ क्षेत्रों में आधुनिक सुविधाएँ पहुँचाकर स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाना, पर्यटन को बढ़ावा देना और आजीविका के नए अवसर पैदा करना है। ग्रामीण विकास मंत्री गणेश जोशी ने बैठक में योजना की प्रगति की विस्तृत समीक्षा करते हुए अधिकारियों को सभी चयनित 91 गांवों के समग्र विकास के लिए व्यवस्थित और समयबद्ध तरीके से कार्य करने के निर्देश दिए।

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केंद्र सरकार ने सीमांत इलाकों की जनसंख्या को टिकाए रखने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और आर्थिक गतिविधियों को गति देने के उद्देश्य से अब तक भारत-चीन और भारत-नेपाल सीमा से लगे 91 गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल किया है। पहले चरण में चीन सीमा से लगे 51 गांवों का चयन किया गया था। इनमें उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक के 10 गांव, चमोली के जोशीमठ ब्लॉक के 14 गांव, पिथौरागढ़ के मुनस्यारी ब्लॉक के आठ गांव, धारचूला के 17 और कनालीछीना के दो गांव शामिल हैं। इन क्षेत्रों में संपर्क मार्गों के निर्माण, आर्थिक गतिविधियों के विस्तार, स्थानीय संस्कृति को संवारने और पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार 520.13 करोड़ रुपये का विस्तृत प्रस्ताव केंद्र को पहले ही भेज चुकी है, जिसमें से 110 करोड़ की राशि प्राप्त भी हो चुकी है।

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दूसरे चरण में भारत-नेपाल सीमा से लगे 40 गांवों को योजना में शामिल किया गया है, जिनमें चंपावत के 11, पिथौरागढ़ के 24 और ऊधमसिंह नगर जिले के छह गांव शामिल हैं। पिथौरागढ़ जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पांच सड़कों के निर्माण के लिए 119.44 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी मिल गई है, जिससे इन दूरस्थ गांवों की कनेक्टिविटी में बड़ा सुधार होगा।


ग्राम्य विकास मंत्री जोशी के अनुसार, वाइब्रेंट विलेज योजना राज्य के सीमांत गांवों में आधुनिक सुविधाओं को उपलब्ध कराने के साथ ही स्थायी आजीविका, कृषि-बागवानी, स्थानीय संस्कृति, सुरक्षा व्यवस्था और पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगी। उनका कहना है कि इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन से न केवल पलायन पर अंकुश लगेगा, बल्कि सीमा क्षेत्रों में मजबूत जनसंख्या और बेहतर विकास राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूती प्रदान करेगा।

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