नैनीताल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 48 स्टोन क्रशर बंद, बिजली-पानी काटने के निर्देश
- ANH News
- 31 जुल॰
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उत्तराखंड हाईकोर्ट, नैनीताल ने हरिद्वार जनपद में गंगा नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में चल रहे अवैध खनन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। यह आदेश मातृ सदन, हरिद्वार द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया गया। कोर्ट ने हरिद्वार में नियमों की धज्जियाँ उड़ाकर संचालित किए जा रहे 48 अवैध स्टोन क्रशरों को तत्काल बंद करने तथा उनकी बिजली और पानी की आपूर्ति काटने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने प्रशासन की लापरवाही पर जताई नाराजगी
न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खण्डपीठ ने सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि पूर्व में 3 मई को क्रशरों को बंद करने का आदेश दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया और अवैध खनन कार्य बेरोकटोक जारी रहा। कोर्ट ने इसे न्यायालय की अवमानना और कानून का सीधा उल्लंघन माना है।
जिलाधिकारी और एसएसपी को त्वरित कार्रवाई के निर्देश
कोर्ट ने हरिद्वार के जिलाधिकारी (DM) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को निर्देशित किया है कि वे इन 48 स्टोन क्रशरों को तत्काल प्रभाव से बंद करें और उनकी बिजली-पानी की आपूर्ति भी काट दी जाए। साथ ही, इन आदेशों के अनुपालन की रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर न्यायालय में प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
अब अगली सुनवाई 12 सितंबर को
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 12 सितंबर 2025 निर्धारित की है, जिसमें यह जांचा जाएगा कि दिए गए निर्देशों का कितना पालन हुआ है। यदि कार्रवाई में कोई लापरवाही सामने आती है तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही भी की जा सकती है।
मातृ सदन की याचिका में गंभीर आरोप
हरिद्वार स्थित सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था मातृ सदन की ओर से दायर इस जनहित याचिका में यह कहा गया है कि रायवाला से लेकर भोगपुर व कुंभ मेला क्षेत्र तक गंगा नदी के तटों पर व्यापक पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है, जिससे गंगा नदी के अस्तित्व पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
मातृ सदन के स्वामी दयानन्द का कहना है कि सरकार और प्रशासन की मिलीभगत से यह खनन कार्य चल रहा है, जबकि गंगा संरक्षण के लिए गठित 'नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG)' की ओर से बार-बार खनन पर रोक लगाने के निर्देश दिए जा चुके हैं। बावजूद इसके, खनन गतिविधियाँ जारी हैं, जो गंगा के पारिस्थितिक तंत्र और धार्मिक महत्व को नुकसान पहुँचा रही हैं।
गंगा के अस्तित्व की रक्षा की पुकार
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि गंगा नदी केवल एक जलधारा नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आस्था और जीवन का आधार है। यदि इस प्रकार की गतिविधियाँ बिना रोकटोक चलती रहीं तो गंगा का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। इस पर संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी भारत सरकार से गंगा की रक्षा के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी थी, परंतु अब तक प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है।
नैनीताल हाईकोर्ट का यह सख्त रुख गंगा नदी के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आदेश न केवल प्रशासनिक तंत्र को जवाबदेह बनाने का कार्य करेगा, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका गंगा जैसी राष्ट्रीय धरोहरों के संरक्षण को लेकर गंभीर है।
अब देखना यह है कि हरिद्वार प्रशासन कितनी तत्परता से इस आदेश का पालन करता है और क्या वाकई गंगा नदी को अवैध खनन से मुक्ति मिलती है।





