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Uttarakhand: प्रदेश के 40 वरिष्ठ IAS अधिकारी गोद लेंगे अपनी पहली तैनाती का क्षेत्र, विकास को देंगे नया आयाम

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 3 दिन पहले
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उत्तराखंड: प्रदेश में प्रशासनिक सेवा के एक अनोखे और सराहनीय पहल की शुरुआत हो गई है। अब राज्य के 40 वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अपनी प्रथम नियुक्ति के कार्यक्षेत्र को गोद लेकर वहां के समग्र विकास में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। यह कदम न केवल एक भावनात्मक जुड़ाव को फिर से जीवंत करेगा, बल्कि प्रशासनिक अनुभव और दृष्टिकोण के जरिए जमीनी स्तर पर बदलाव की नींव रखेगा।


मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने जारी किया आदेश

मंगलवार को मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने इस संबंध में सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों और अपर सचिवों को आदेश जारी कर दिया है। यह योजना मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विकासशील सोच और प्रशासन को जमीनी स्तर से जोड़ने की दृष्टि का हिस्सा है। मुख्यमंत्री की अपेक्षा है कि अधिकारी अपनी सेवा की शुरुआत जहां से हुई थी, वहां लौटकर उन क्षेत्रों को पुनः संवारें और विकसित करें।


किसे करना होगा कार्यक्षेत्र गोद?

इस योजना के तहत 8700 ग्रेड-पे या उससे अधिक ग्रेड-पे वाले IAS अधिकारियों को अपनी प्रथम तैनाती के कार्यक्षेत्र — चाहे वह विकासखंड, तहसील या जिला मुख्यालय हो — उसे गोद लेना होगा।


यदि दो अधिकारियों की प्रथम तैनाती एक ही स्थान पर हुई है, तो उनमें से एक को दूसरी तैनाती का कार्यक्षेत्र देखने का निर्देश दिया गया है।


आदेश में सभी अफसरों की प्रथम, द्वितीय और तृतीय तैनाती की सूची भी उनके नामों के साथ जारी की गई है।


क्या करना होगा अधिकारियों को?

इन अफसरों को अपने प्रथम कार्यक्षेत्र में अब तक हुए सामाजिक, भौतिक व आर्थिक बदलावों का आकलन करना होगा और उस पर टिप्पणी भी देनी होगी। साथ ही, उन्हें इस क्षेत्र के समग्र विकास के लिए कार्ययोजना बनानी होगी। इसमें मुख्य बिंदु होंगे:


CSR (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) और अन्य संसाधनों का उपयोग कर सामाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में प्रयास।


NGO, सिविल सोसायटी और स्थानीय समुदाय से तालमेल और सहयोग।


जिला योजना, राज्य सेक्टर, वित्त आयोग, आदि से प्राप्त धनराशि के सदुपयोग की रणनीति तैयार करना।


विकास का नया मॉडल बन सकता है यह प्रयोग

इस अभिनव पहल के ज़रिये न केवल अफसर अपने प्रशासनिक करियर की शुरुआत से भावनात्मक जुड़ाव फिर से कायम करेंगे, बल्कि स्थायी विकास और स्थानीय समस्याओं के प्रति उनकी समझ और संवेदनशीलता भी उजागर होगी। अपने पुराने कार्यक्षेत्र को गोद लेकर वे वहां दीर्घकालिक योजनाएं बना सकेंगे, जिससे स्थायी और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।


राज्य सरकार का यह प्रयास न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह "स्थानीय विकास में वरिष्ठ नेतृत्व की भागीदारी" का एक बेहतरीन उदाहरण भी बन सकता है। इससे अफसरों में जवाबदेही और संवेदनशीलता दोनों बढ़ेगी और जनता को भी यह महसूस होगा कि सरकार जमीनी स्तर पर उनके साथ है।


यह प्रयोग यदि सफल रहा तो यह पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है।

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